Haryana News: हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के लिए हुई बड़ी घोषणा, अब कर्मचारी नहीं कर पाएंगे ये काम

Haryana News: हरियाणा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों की उपस्थिति जियो-फेसिंग तकनीक के आधार पर दर्ज की जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत स्वास्थ्य विभाग, आयुष, और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल पर समय पर उपस्थित होना अनिवार्य होगा।
इस पहल का उद्देश्य कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इसके लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) की ओर से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई शुरुआत का संकेत दे रहे हैं।
इस नई जियो-फेसिंग आधारित उपस्थिति प्रणाली के तहत कर्मचारियों को अपने स्मार्टफोन में एक विशेष ऐप डाउनलोड करना होगा, जिसका नाम 'जियो फेस्ड अटेंडेंस एचआरवाई' है। इस ऐप को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने विकसित किया है, और इसका पोर्टल भी एनएचएम के पास ही रहेगा।
खास बात यह है कि उपस्थिति केवल कार्यस्थल के 500 मीटर के दायरे में ही दर्ज हो सकेगी। यदि कोई कर्मचारी कार्यस्थल से दूर या घर से उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश करता है, तो ऐप इसे स्वीकार नहीं करेगा। इस तकनीक से कर्मचारियों और अधिकारियों का समय पर कार्यस्थल पर पहुंचना सुनिश्चित होगा, जिससे अनुशासनहीनता और अनुपस्थिति की समस्या पर लगाम लगेगी।
यह कदम न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि मरीजों को समय पर बेहतर उपचार भी सुनिश्चित करेगा।
इसके साथ ही, हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने भिवानी और नारनौल में नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों में 80 विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की है। ये डॉक्टर पहले प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत थे, और अब इन्हें इन नए कॉलेजों में सेवा देने का दायित्व सौंपा गया है। यह कदम नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के आगामी निरीक्षण को ध्यान में रखकर उठाया गया है, ताकि इन कॉलेजों में पूर्ण सुविधाएं और व्यवस्थाएं प्रदर्शित की जा सकें।
यह पहल हरियाणा में मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हालांकि, इस निर्णय को लेकर हरियाणा सिविल मेडिकल एसोसिएशन ने कुछ चिंताएं जताई हैं। एसोसिएशन के राज्य प्रधान डॉ. राजेश ख्यालिया का कहना है कि डॉक्टरों की तैनाती दूरदराज के मेडिकल कॉलेजों में किए जाने से मरीजों को स्थानीय स्तर पर उपचार में कठिनाई हो सकती है।
साथ ही, डॉक्टरों को भी लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है, ताकि मरीजों और चिकित्सकों दोनों के हितों का ध्यान रखा जा सके।