Haryana News: हरियाणा में टोल का झटका, 1 अप्रैल से इन रास्तों पर जेब होगी और हल्की

Haryana News: हरियाणा में 1 अप्रैल 2025 से टोल दरों में बढ़ोतरी होगी। कार पर 40 रुपये, कॉमर्शियल वाहनों पर 100 रुपये तक अतिरिक्त शुल्क लगेगा। घरौंडा, घग्गर नदी और सैनीमाजरा टोल प्रभावित होंगे। मासिक पास की कीमत भी बढ़ेगी। पानीपत टोल विवाद जारी, रोज 70 हजार वाहनों पर असर।
Haryana News: हरियाणा में टोल का झटका, 1 अप्रैल से इन रास्तों पर जेब होगी और हल्की

Haryana News: हरियाणा के हाईवे पर सफर करने वालों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अगर आप गाड़ी लेकर दिल्ली से चंडीगढ़ या लुधियाना जाने की सोच रहे हैं, तो अब आपकी जेब पर पहले से ज्यादा बोझ पड़ने वाला है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने फैसला लिया है कि 1 अप्रैल 2025 से टोल प्लाजा की दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। यह बदलाव न सिर्फ आम वाहन चालकों को प्रभावित करेगा, बल्कि कॉमर्शियल वाहनों के मालिकों की मुश्किलें भी बढ़ाएगा। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं कि यह आपके लिए क्या मायने रखती है।

टोल दरों में कितनी हुई बढ़ोतरी?

नए नियमों के तहत टोल शुल्क में बढ़ोतरी का असर हर तरह के वाहनों पर पड़ेगा। अगर आप कार या जीप से सफर करते हैं, तो आपको अब 40 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। वहीं, ट्रक जैसे कॉमर्शियल वाहनों के लिए यह बढ़ोतरी 100 रुपये तक की गई है। करनाल के घरौंडा, अंबाला के घग्गर नदी और सैनीमाजरा जैसे टोल प्लाजा इस बदलाव का हिस्सा होंगे। यानी दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वालों को चार टोल पर खर्च करना पड़ेगा, जबकि लुधियाना की यात्रा में पांच टोल आपका इंतजार करेंगे। जाहिर है, यह बढ़ोतरी आम आदमी के बजट को हिला सकती है।

मासिक पास वालों की भी बढ़ी मुश्किलें

यह बदलाव सिर्फ एक बार की यात्रा तक सीमित नहीं है। अगर आप मासिक पास का इस्तेमाल करते हैं, तो भी आपको जेब ढीली करनी पड़ेगी। खासकर कॉमर्शियल वाहनों के लिए एक्सेल के हिसाब से दरें बढ़ाई गई हैं। रोजाना सफर करने वाले ड्राइवरों और कारोबारियों के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं है। मासिक पास की सुविधा लेने वालों को अब पहले से ज्यादा खर्च के लिए तैयार रहना होगा।

घग्गर नदी टोल: किसानों के धरने से नुकसान तक

अंबाला के घग्गर नदी के पास स्थित टोल की कहानी भी कम रोचक नहीं है। फरवरी 2024 में किसानों के धरने की वजह से यह टोल बंद हो गया था। उस वक्त योजना थी कि 1 सितंबर 2024 से दरों में बढ़ोतरी होगी, लेकिन ऐसा हो न सका। अब 1 अप्रैल 2025 से यहां भी नई दरें लागू होंगी। आपको बता दें कि इस टोल से हर दिन करीब 70 हजार वाहन गुजरते हैं। टोल बंद होने से रोजाना 70 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था, जिसका असर अब नई दरों के जरिए भरपाई की कोशिश में दिख रहा है।

पानीपत टोल का मुद्दा: संसद तक पहुंची बात

पानीपत के टोल को लेकर भी काफी समय से चर्चा चल रही थी। करनाल के पूर्व सांसद संजय भाटिया ने संसद में इस मसले को उठाया था। उनका तर्क था कि करनाल के घरौंडा और दिल्ली की ओर भिगान में पहले से टोल हैं, ऐसे में पानीपत का टोल लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस पर सहमति जताई थी और मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, पानीपत का टोल न हटा और न ही इसे मर्ज किया गया। इस मुद्दे पर बहस अभी भी जारी है।

टोल प्लाजा से कमाई का खेल

पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट के तहत करनाल, शंभू और लाडोवाल में टोल लगाने की अनुमति दी गई थी। बाद में शंभू टोल को शिफ्ट कर घग्गर नदी के पास कर दिया गया। पहले यह जिम्मेदारी सोमा आइसोलेक्स कंपनी के पास थी, लेकिन अब टेंडर किसी दूसरी कंपनी को दे दिया गया है। इन तीन टोल प्लाजा से हर साल करीब 600 करोड़ रुपये की कमाई होती है। यह आंकड़ा बताता है कि टोल शुल्क सरकार और कंपनियों के लिए कितना बड़ा कारोबार है।

आप पर क्या होगा असर?

अगर आप हरियाणा के हाईवे से गुजरते हैं, तो यह खबर आपके लिए अहम है। नई टोल दरें लागू होने से रोजमर्रा का खर्च बढ़ेगा, खासकर उन लोगों के लिए जो काम या कारोबार के सिलसिले में बार-बार सफर करते हैं। सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी सड़कों के रखरखाव और बेहतर सुविधाओं के लिए जरूरी है, लेकिन आम आदमी के लिए यह सवाल बना हुआ है कि आखिर कब तक जेब ढीली होती रहेगी।

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