लोकसभा चुनावों का किसान आंदोलन पर नहीं पड़ेगा कोई असर, किसान अपनी मांगों को लेकर चुनावों में भी उठाएंगे आवाज

Kisan Andolan Live Updates: किसान आंदोलन 13 फरवरी से शुरू हुआ था. फिलहाल, किसान हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर और जींद के खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन को अब एक महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है.
लोकसभा चुनावों का किसान आंदोलन पर नहीं पड़ेगा कोई असर, किसान अपनी मांगों को लेकर चुनावों में भी उठाएंगे आवाज 
न्यूज डेस्क, दून हॉराइज़न, चंडीगढ़ (हरियाणा)

देश में लोकसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है.  सात चरणों में देशभर में चुनाव होंगे. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) की घोषणा के चलते खत्म किसान आंदोलन (Kisan Andolan) खत्म हो जाएगा या इस आंदोलन का आगे क्या होगा.  

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने न्यूज18 से Exclusive इंटरव्यू दिया है. देश में आचार संहिता लगने के बाद न्यूज़ 18 पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर (Sarvan Singh Padher) अपनी आगे की रणनीति की जानकारी दी.

न्यूज18 से बातचीत में किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कह कि संहिता लगने से हमें फर्क नहीं पड़ता है और हमारा आंदोलन जारी रहेगा. चुनाव प्रचार के दौरान वह और किसान अपने मुद्दे उठाएंगे. उन्होंने कहा कि एक तरफ चुनाव प्रचार और दूसरी तरफ किसान अपने मुद्दों को लेकर एक मुहिम शुरू करेंगे और इसी तरह से बॉर्डर पर आंदोलन जारी रहेगा.

पंधेर ने बताया कि किसान नेता शुभकरण की अस्थियों के कलश लेकर किसानों के काफिले हरियाणा में दाखिल हो चुके हैं. 22 मार्च को हिसार और 31 मार्च को अंबाला जिले में बड़ी रैली करेंगे. उन्होंने बताया कि  पंजाब के सभी किसान नेताओं के अलावा, हरियाणा और देश के दूसरे राज्यों से किसान भी शामिल होंगे.

पंधेर ने बताया कि पंजाब का किसान बॉर्डर पर ही बैठा रहेगा. सिर्फ किसान नेता रैलियों में शामिल होंगे. चुनाव के बाद जो भी सरकार बनेगी, उससे वह अपनी मांगे मनवाएंगे. कुछ भी हो जाए, जब तक मांगे पूरी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा, चाहे कितने भी समय के लिए बैठना पड़े.

कब से चल रहा धरना

बता दें किसान आंदोलन 13 फरवरी से शुरू हुआ था. फिलहाल, किसान हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर और जींद के खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस आंदोलन को अब एक महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. किसान और केंद्र सरकार में कई दौर की वार्ता भी हुई है.

लेकिन मसले का कोई हल अब तक नहीं निकला है. लेकिन अब चुनावों की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में अब रिजल्ट और नई सरकार के गठन के बाद ही किसान आंदोलन पर कोई हल निकल पाएगा.

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