नायब सिंह सैनी की मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति अवैध और गैर संवैधनिक, हाई कोर्ट में लगी अर्जी

एडवोकेट जगमोहन भट्टी ने याचिका दायर कर सैनी को मुख्यमंत्री बनाने को संविधान के अनुच्छेद 164(4) का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा है कि हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार सही चल रही थी। इसके बावजूद उन्हों सीएम पद से हटा दिया और नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया गया, जो कि विधायक नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि सैनी ने सांसद के पद से इस्तीफा भी नहीं दिया है। ऐसे में यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 164(4) का सीधे तौर पर उल्लंघन है और उनकी मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति अवैध और गैर संवैधनिक है।
क्या कहता है अनुच्छेद 164(4)?
संविधान के अनुच्छेद 164(4) में स्पष्ट उल्लेख है कि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री 6 माह की अवधि तक राज्य के विधान मंडल का सदस्य नहीं है, वह अपने पद पर बना नहीं रह सकता है। सैनी वर्तमान में हरियाणा विधानसभा के सदस्य नहीं है। वह विधायक बने बिना सिर्फ 6 महीने यानी 11 सितंबर 2024 तक सीएम की कुर्सी पर रह सकते हैं।
विधायक बनना जरूरी
हरियाणा में विधान परिषद का विकल्प नहीं है। ऐसे में उनका विधायक बनना जरूरी है। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर 2024 तक ही है। चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक, अगर विधानसभा चुनाव होने में एक साल से कम का समय बचा है तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है। हालांकि, विधानसभा को भंग किया जा सकता है, जिसके लिए सीएम की अध्यक्षता में कैबिनेट को प्रस्ताव पास करना होगा।
नायब सिंह सैनी को 11 सितंबर से पहले या तो उन्हें किसी सीट से चुनाव लड़कर विधायक बनना होगा या फिर सीएम का पद छोड़ना होगा। अगर वे चुनाव नहीं लड़ते हैं तो एक विकल्प यह भी है मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें और फिर दोबारा शपथ ग्रहण करें।
सांसद रहते हुए तीसरे मुख्यमंत्री बने सैनी
नायब सिंह सैनी हरियाणा के ऐसे तीसरे मुख्यमंत्री बने हैं जो विधानसभा सदन के सदस्य नहीं हैं। सांसद के पद पर रहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है। उनसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बंसीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी संसद के सदस्य रहते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे।