Sonipat News: यमुना जहर विवाद पर कोर्ट में गरमाई बहस! केजरीवाल के वकील ने दिया ये बड़ा तर्क

Sonipat News: सोनीपत में यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने के आरोपों पर कोर्ट सुनवाई जारी। अरविंद केजरीवाल का वायरल वीडियो चर्चा में, लेकिन वह पेश नहीं हुए। हरियाणा सरकार पर ग्रामीणों का इल्जाम, अगली सुनवाई 31 मई को। प्रदूषण और स्वास्थ्य खतरे ने बढ़ाई चिंता।
Sonipat News: यमुना जहर विवाद पर कोर्ट में गरमाई बहस! केजरीवाल के वकील ने दिया ये बड़ा तर्क

Sonipat News: हरियाणा के सोनीपत में यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने के आरोपों ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस गंभीर मामले को लेकर सोनीपत की अदालत में सुनवाई चल रही है, जिसमें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं।

हाल ही में उनके वकील ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया है, लेकिन अरविंद केजरीवाल खुद सुनवाई के लिए हाजिर नहीं हुए। इससे पहले 17 फरवरी को हुई पहली सुनवाई में भी वह कोर्ट में मौजूद नहीं थे। अब इस मामले की अगली तारीख 31 मई तय की गई है, जब इस पर आगे की कार्रवाई होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न सिर्फ पर्यावरण से जुड़ा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और विश्वास पर भी सवाल उठाता है।

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब यमुना नदी के आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने हरियाणा सरकार पर नदी के पानी में जहर मिलाने का इल्जाम लगाया। उनका कहना था कि इससे न सिर्फ इंसानों, बल्कि पशुओं की जिंदगी को भी खतरा है। इस शिकायत के बाद जल सेवा प्रभाग के कार्यकारी अभियंता आशीष कौशिक ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की।

ग्रामीणों ने अपने दावे के पीछे एक वायरल वीडियो का हवाला दिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैला। इस वीडियो में अरविंद केजरीवाल ने कथित तौर पर कहा था कि हरियाणा सरकार ने यमुना नदी में जहर डाला है। इस बयान के बाद इलाके में हंगामा मच गया और लोग सड़कों पर उतर आए।

कोर्ट में अब तक की कार्रवाई की बात करें तो पहली सुनवाई में AAP की लीगल सेल के प्रमुख संजीव नासियार ने केजरीवाल की ओर से पक्ष रखा था। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इस मामले में ठोस सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने इसके बाद वीडियो फुटेज, प्रदूषण विभाग की रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया।

दूसरी सुनवाई में केजरीवाल की टीम ने अपना जवाब दाखिल किया, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी ने सवाल खड़े कर दिए। अब 31 मई को होने वाली सुनवाई में कोर्ट इस जवाब पर गौर करेगी और अगला कदम तय करेगी। पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना नदी का प्रदूषण पहले से ही चिंता का विषय है, और ऐसे आरोप इसे और गंभीर बनाते हैं।

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