चंडीगढ़ : ठेकेदारी प्रथा को बंद करने को लेकट केंद्र सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

पीजीआई कर्मचारी संघ की ओर से एडवोकेट करण सिंगला के माध्यम से याचिका दायर करते हुए हाईकोर्ट को बताया गया कि ठेकेदारी प्रथा को बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने 12 दिसंबर 2014 को अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के बावजूद न तो अनुबंध कर्मियों को नियमित किया गया और न ही अधिसूचना के तहत कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया।
चंडीगढ़ : ठेकेदारी प्रथा को बंद करने को लेकट केंद्र सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस
न्यूज डेस्क, दून हॉराइज़न, चंडीगढ़ (पंजाब)

पीजीआई चंडीगढ़ में ठेकेदारी प्रथा को बंद करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना के बावजूद ठेकेदारी पर काम करने वाले सेनेटरी, कैटरिंग व सिक्योरिटी कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के स्थान पर अनुबंध सेवा विस्तार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, पीजीआई चंडीगढ़ व अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

पीजीआई कर्मचारी संघ की ओर से एडवोकेट करण सिंगला के माध्यम से याचिका दायर करते हुए हाईकोर्ट को बताया गया कि ठेकेदारी प्रथा को बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने 12 दिसंबर 2014 को अधिसूचना जारी की थी।

इस अधिसूचना के बावजूद न तो अनुबंध कर्मियों को नियमित किया गया और न ही अधिसूचना के तहत कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया। अभी पीजीआई में ठेकेदारी के माध्यम से सेनेटरी, कैटरिंग व सिक्योरिटी विभाग में अनुबंध कर्मियों की सेवाएं ली जा रही हैं और इन्हें केवल डीसी रेट का भुगतान होता है।

साथ ही याची ने यह भी बताया कि ठेकेदारी के माध्यम से सेवा दे रहे इन कर्मियों को सेवा विस्तार देने के लिए सेंट्रल एडवाइजरी कॉन्ट्रैक्ट लेबर बोर्ड की अनुमति अनिवार्य है लेकिन इस अनुमति के बिना ही सेवा विस्तार दिया जा रहा है। कोर्ट को बताया गया कि सेंट्रल एडवाइजरी कॉन्ट्रैक्ट लेबर बोर्ड ही कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों की सेवाओं में विस्तार की अनुमति दे सकता है। 

पीजीआई को वर्ष 2018 में बोर्ड ने दो वर्ष का समय देते हुए नीति बनाने व अनुबंध कर्मियों को नियमित करने को कहा था लेकिन लेकिन आज तक पीजीआई के पास कोई योजना नहीं है। इससे पहले भी संघ ने अवमानना याचिका दाखिल की थी लेकिन पीजीआई के अनुबंध कर्मियों को पक्का नहीं किया जा रहा।

याचिका में अपील की गई है कि अनुबंध कर्मियों के अनुबंध को आगे न बढ़ाया जाए और उन्हें नियमित किया जाए। साथ ही पीजीआई को भविष्य में किसी भी अनुबंध पर भर्ती न की जाए।

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