Punjab-Haryana Water Dispute: BBMB का बड़ा फैसला, पंजाब के विरोध के बाद भी अब हरियाणा को मिलेगा 10,300 क्यूसेक पानी

Punjab-Haryana Water Dispute: भाखड़ा नहर के पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के बीच तनाव और चर्चा का दौर जारी है। हाल ही में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) ने तीनों राज्यों की मांगों को ध्यान में रखते हुए पानी के वितरण का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। लेकिन नहर की सीमित क्षमता और रखरखाव की चुनौतियों ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं कि कैसे BBMB ने इस संवेदनशील मसले पर निष्पक्ष रुख अपनाया और भविष्य में क्या हो सकता है।
पानी की मांग और BBMB का फैसला
15 मई को BBMB मुख्यालय में तकनीकी समिति की बैठक में हरियाणा, पंजाब और राजस्थान ने अपनी-अपनी पानी की जरूरतें रखीं। हरियाणा ने 10,300 क्यूसेक, पंजाब ने 17,000 क्यूसेक और राजस्थान ने 12,400 क्यूसेक पानी की मांग की थी। इस बैठक में पंजाब ने हरियाणा की मांग का विरोध किया, लेकिन BBMB ने निष्पक्षता दिखाते हुए सभी राज्यों की मांगों को स्वीकार कर लिया।
अब 21 से 31 मई तक हरियाणा को 10,300 क्यूसेक, पंजाब को हरीके से 7,000 और रोपड़ से 10,000 क्यूसेक, जबकि राजस्थान को 12,400 क्यूसेक पानी दिया जाएगा। यह फैसला तीनों राज्यों के लिए राहत की खबर है, लेकिन नहर की क्षमता को लेकर सवाल अभी भी बरकरार हैं।
भाखड़ा नहर की क्षमता और चुनौतियां
भाखड़ा नहर की डिजाइन क्षमता 12,500 क्यूसेक है, लेकिन अब तक इसमें अधिकतम 11,200 क्यूसेक पानी ही छोड़ा गया है। BBMB ने इस बार हरियाणा और पंजाब को कुल 13,300 क्यूसेक पानी देने का फैसला लिया है, जो नहर की सुरक्षित क्षमता से अधिक है।
बोर्ड ने साफ किया है कि पानी का वितरण नहर की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही किया जाएगा। पंजाब ने पहले ही चेतावनी दी है कि नहर के किनारे कमजोर हो चुके हैं और उनकी मरम्मत जरूरी है। इस स्थिति में इतनी बड़ी मात्रा में पानी छोड़ना जोखिम भरा हो सकता है। BBMB ने इस चुनौती को देखते हुए अगली बैठक 31 मई को बुलाई है, जिसमें जून के लिए पानी की मांग और नहर की स्थिति पर विचार किया जाएगा।
पंजाब की अतिरिक्त मांग और पोंग डैम की स्थिति
पंजाब ने धान की बुआई के लिए 9,000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की मांग की थी, जो उसकी सामान्य मांग से 35% अधिक है। हालांकि, BBMB ने इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। इसके अलावा, पोंग डैम की तीसरी सुरंग की मरम्मत को भी फिलहाल टाल दिया गया है। यह निर्णय पंजाब के लिए निराशाजनक हो सकता है, क्योंकि धान की खेती के लिए अतिरिक्त पानी की जरूरत अहम है। BBMB का यह रुख नहर की दीर्घकालिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने का संकेत देता है, लेकिन यह किसानों की जरूरतों को प्रभावित कर सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
भाखड़ा नहर का जल वितरण न केवल तीन राज्यों की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा भी है। BBMB की निष्पक्षता और तकनीकी दृष्टिकोण इस मामले में संतुलन बनाए रखने की कोशिश है। लेकिन नहर की कमजोर स्थिति और सीमित क्षमता भविष्य में और चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं। 31 मई की बैठक में जून के लिए पानी की मांग और नहर की मरम्मत जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की उम्मीद है। तब तक, तीनों राज्यों को मिलने वाला पानी उनकी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित होगा।