हरियाणा के दिहाड़ी मजदूर की बेटी महाराष्ट्र में बनी GST इंस्पेक्टर, अब बनना चाहती है IAS

हरियाणा के करनाल की कोमल की कहानी वाकई प्रेरणादायक हैकोमल के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं जिन्होंने मजदूरी कर के ही अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया है
हरियाणा के दिहाड़ी मजदूर की बेटी महाराष्ट्र में बनी GST इंस्पेक्टर, अब बनना चाहती है IAS

आज भी ऐसे कई लोग हैं जो आभावों में अपना जीवन बिता रहे हैं कुछ इस स्थिति को अपनी किस्मत मान लेते हैं तो वही कुछ कड़ी मेहनत के साथ इस स्थिति से बाहर आने का प्रयास करते हैं।

आज हम आपको हरियाणा के करनाल की होनहार बेटी की कहानी ही बताने जा रहे हैं जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। इस होनहार बेटी का नाम कोमल है जो आज हजारों लड़कियों के लिए उनकी प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं।

कोमल ने कड़ी मेहनत से महाराष्ट्र के नासिक में जीएसटी इंस्पेक्टर का पद हासिल किया है। लेकिन ये सब कोमल के लिए आसान नहीं था क्योंकि वे बेहद गरीब परिवार से हैं।

वहीं उन्हें कई बार असफलता भी मिली, लेकिन कोमल ने हार नहीं मानी और आज परिणाम हर किसी के सामने है।

पिता ने मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया

हरियाणा के करनाल की कोमल की कहानी वाकई प्रेरणादायक है। कोमल के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं जिन्होंने मजदूरी कर के ही अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया है।

कोमल के घर में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव था लेकिन ऐसे में भी कोमल ने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया। वे पढ़ाई में हमेशा से ही आगे रही हैं। इसलिए पिता ने भी बेटी को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

हालांकि उस समय पर कोमल के पिता की कमाई इतनी कम थी कि घर का गुजारा चलाना भी मुश्किल था।लेकिन कोमल के पिता ने बाकि कामो को रोककर बेटी को करनाल के सरकारी कॉलेज से बीकॉम और एमकॉम की पढ़ाई करवाई।

अब कोमल ने भी ठान लिया था कि वे किसी अच्छे पद पर जाकर अपने पिता का नाम रोशन करेंगी। इसके लिए 2015 में कोमल ने एसएससी की परीक्षा दी लेकिन बात नहीं बन पाई। 2016 में भी कोमल इस परीक्षा को 4 अंकों से पास नहीं कर पाई थी।

यूपीएससी पास करना है लक्ष्य

इसके बाद कोमल ने 2018 में एसएससी सीजीएल की परीक्षा को दिया और इस बार उनकी मेहनत रंग लाई। अब कोमल को महाराष्ट्र के नासिक में ही जीएसटी पुलिस के पद पर तैनाती मिली है।

कोमल का परिवार भी बेटी की सफलता से बेहद खुश है। अब कोमल का लक्ष्य यूपीएससी परीक्षा को पास आईएएस अफसर के पद पर पहुंचना है,जिसके लिए वे कड़ी मेहनत भी कर रही हैं।

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