रंग लाई हरियाणा के इस नौजवान की मेहनत, कई बार फेल होने के बाद बन गए IPS

इस आईपीएस अधिकारी का नाम लज्जा राम बिश्नोई है जो डीजीपी बनने के बाद पहली बार अपने गाँव आए हैं। लज्जा का आईपीएस बनने का सफर बेहद खास रहा है। इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की है।
रंग लाई हरियाणा के इस नौजवान की मेहनत, कई बार फेल होने के बाद बन गए IPS

कड़ी मेहनत ही एक रास्ता है जो व्यक्ति के दिनों को बदल सकती है। इस वाक्य को कई लोग अपनी कड़ी मेहनत के बाद सफलता हासिल कर साबित कर चुके हैं।

आज हम आपको हरियाणा के हिसार के एक छोटे से गाँव में रहने वाले नौजवान की दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं जो आज मेघालय में डीजीपी के पद पर सेवाएँ दे रहें है।

लज्जा राम विश्नोई है इनका नाम

इस आईपीएस अधिकारी का नाम लज्जा राम बिश्नोई है जो डीजीपी बनने के बाद पहली बार अपने गाँव आए हैं। लज्जा का आईपीएस बनने का सफर बेहद खास रहा है।

इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की है। हालांकि इस मार्ग में उन्हें असफलता का सामना भी करना पड़ा लेकिन लज्जा राम ने कभी हार नहीं मानी।

आइए जानते हैं लज्जा राम के इस सफर के बारे में :

बनना चाहते थे वेटरनरी सर्जन

लज्जा राम के आईपीएस अफसर बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है। लज्जा राम हमेशा से ही वेटरनरी सर्जन बनाना चाहते थे। इस फील्ड में जाकर वे किसान परिवारों की मदद करने का सपना देखते थे।

इसलिए स्कूली पढ़ाई के लिए लज्जा राम ने एचएयू के वेटरनरी कॉलेज में दाखिला लिया। इस दौरान लज्जा राम ने अपने दोस्त के साथ एक क्विज़ में भाग लिया और इस दौरान ही उन्हें पता चला कि यूपीएससी परीक्षा से ही एसपी और डीएसपी बनने का रास्ता जाता है।

शुरू की यूपीएससी की तैयारी

इसके बाद ही लज्जा राम ने यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर दिया था। पहले प्रयास में ही लज्जा राम ने एचसीएस परीक्षा को पास कर लिया था। लेकिन यूपीएससी परीक्षा पास नहीं कर पाए।

दूसरे प्रयास में यूपीएससी पास किया लेकिन आईपीएस सर्विस नहीं मिली। तीसरे प्रयास में लज्जा राम को आईपीएस मिला और वे मेघालय कैडर में तैनात किए गए। हाल ही में उन्हें डीजीपी के पद पर पदोन्नत किया गया है।

अपने कामों के लिए जाने जाते हैं लज्जा राम

लज्जा राम अपने कार्यालय में मेघालय से कई बुराई को खत्म करने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें आए दिन तारीफ भी मिलती रहती है । वहीं अब लज्जा राम के रिटायर होने में सिर्फ 1 साल का समय बचा है ।

वे चाहते हैं रिटायरमेंट के बाद वे सरकारी स्कूल में अपने माता पिता की याद में कमरों का निर्माण कराएं। सामाजिक कार्यों में भी लज्जा राम बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

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