फिल्मी हिरोइन से कम नही है छत्तीसगढ़ की इस महिला IAS के स्टाइल, कभी हाथ में पिस्टल, कभी बाइक लेकर आती हैं नजर

एक बार 10वीं के बाद घरवालों ने कहा कि वे उसे आगे की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाने देंगे, लेकिन मां के प्रोत्साहन ने उन्हें यह ताकत दी कि आज बेटी आईएएस अफसर है.
फिल्मी हिरोइन से कम नही है छत्तीसगढ़ की इस महिला IAS के स्टाइल, कभी हाथ में पिस्टल, कभी बाइक लेकर आती हैं नजर

एक बार 10वीं के बाद घरवालों ने कहा कि वे उसे आगे की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाने देंगे, लेकिन मां के प्रोत्साहन ने उन्हें यह ताकत दी कि आज बेटी आईएएस अफसर है. बात करें छत्तीसगढ़ की महिला आईएएस अफसर नम्रता जैन की... उनका स्टाइल उन्हें सबसे खास अधिकारियों में से एक बनाता है लेकिन उनका अब तक का सफर आसान नहीं रहा है।

वह नक्सल प्रभावित इलाके से ताल्लुक रखती है और उसने एक बार नहीं बल्कि दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की है। पहली बार आईपीएस और दूसरी बार आईएएस बनी हैं। जानिए नम्रता जैन की सफलता की यात्रा और उनका संघर्ष कितना कठिन रहा है।नम्रता जैन छत्तीसगढ़ के उस जिले से आती हैं, इसलिए नक्सलवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं।

वह दंतेवाड़ा के करली की रहने वाली हैं। यहां से आईएएस बनना उनके लिए आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल किया।नम्रता जैन ने अपनी स्कूली शिक्षा करली के निर्मल निकेतन स्कूल से की। वैसे भी उसने 10वीं तक पढ़ाई की, लेकिन उसके परिवार ने आगे पढ़ने से मना कर दिया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी बाहर जाए।

मैंने परिवार को बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने। आखिरकार उनकी मां मान गईं और अगले 5 साल की पढ़ाई भिलाई में हुई और उसके बाद तीन साल दिल्ली में।नम्रता ने भिलाई के प्रौद्योगिकी संस्थान से इंजीनियरिंग पूरी की और फिर एक कंपनी में नौकरी कर ली। लेकिन उनके दिमाग में आईएएस ऑफिसर बनने का सपना दौड़ रहा था. उन्होंने नौकरी की पेशकश को ठुकरा दिया और दिल्ली चले गए।

यहां उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और उन्हें अपने चाचा और मामा का सबसे ज्यादा सहयोग मिला।नम्रता की तैयारी चल ही रही थी कि 6 महीने के अंदर ही उसके दो चाचाओं की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

उसे अपने चाचा से बहुत लगाव था और चाचा उसे सिविल सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करते थे, इसलिए शील बहुत हद तक टूट गया, लेकिन उसका साहस नहीं टूट सका और वह अपने चाचा के सपने को पूरा करने की तैयारी करने लगी।साल 2015 में पहली बार नम्रता ने यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन वह सफल नहीं हुई।

अगले साल 2016 में उन्होंने 99वीं रैंक हासिल की लेकिन आईएएस नहीं बन सकीं। वह मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी बनीं। हालांकि उनकी नजर आईएएस बनने के अपने लक्ष्य पर टिकी रही।

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