5 साल पुरानी बीमारी मिनटों में गायब! ChatGPT ने कर दिखाया डॉक्टरों जैसा कमाल

चैटजीपीटी ने एक रेडिट यूजर की 5 साल पुरानी जबड़े की समस्या को 1 मिनट में ठीक किया। रीड हॉफमैन ने इसकी तारीफ की। एआई ने माउथ-ओपनिंग तकनीक सुझाई, जो डॉक्टरों से नहीं मिली। क्या एआई भविष्य का डॉक्टर है? विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
5 साल पुरानी बीमारी मिनटों में गायब! ChatGPT ने कर दिखाया डॉक्टरों जैसा कमाल

क्या आपने कभी सोचा कि एक चैटबॉट आपकी सालों पुरानी स्वास्थ्य समस्या को चुटकियों में हल कर सकता है? यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि एक रेडिट यूजर की सच्ची घटना है, जिसने लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन का भी ध्यान खींचा। इस यूजर ने बताया कि चैटजीपीटी ने उनकी पांच साल पुरानी जबड़े की समस्या को महज एक मिनट में ठीक कर दिया।

आइए, इस हैरान करने वाली कहानी को करीब से जानें और समझें कि क्या वाकई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मेडिकल क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

पांच साल की तकलीफ, डॉक्टर भी थे हैरान

कहानी एक ऐसे रेडिट यूजर की है, जो पांच साल से अपने जबड़े में बार-बार होने वाली क्लिकिंग की समस्या से परेशान थे। यह दिक्कत शायद मुक्केबाजी के दौरान लगी चोट की वजह से शुरू हुई थी। यूजर ने इस समस्या के लिए कई विशेषज्ञों से संपर्क किया। कान-नाक-गला (ईएनटी) विशेषज्ञ, मैक्सिलोफेशियल सर्जन, और दो एमआरआई स्कैन तक करवाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हर बार निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार, हताश होकर उन्होंने चैटजीपीटी की मदद लेने का फैसला किया। यह निर्णय उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

चैटजीपीटी ने दिखाया कमाल

चैटजीपीटी ने यूजर की समस्या को ध्यान से सुना और बताया कि उनके जबड़े की डिस्क शायद थोड़ी खिसक गई है, लेकिन इसे ठीक करना संभव है। एआई ने एक खास माउथ-ओपनिंग तकनीक की सलाह दी, जिसमें जीभ की सही स्थिति और जबड़े की समरूपता पर ध्यान देना था। यूजर ने लिखा, “मैंने इन निर्देशों को एक मिनट से भी कम समय तक आजमाया, और अचानक क्लिकिंग बंद हो गई। पांच साल की परेशानी एक मिनट में गायब! यह विश्वास करना मुश्किल था।” यह अनुभव न सिर्फ यूजर के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि इसे पढ़ने वाले लाखों लोगों के लिए भी प्रेरणादायक बन गया।

क्या डॉक्टरों को एआई से खतरा है?

जब इस पोस्ट पर एक यूजर ने मजाक में कहा कि “डॉक्टर चैटजीपीटी से नफरत करेंगे, क्योंकि यह वेबएमडी से हजार गुना बेहतर है,” तो रीड हॉफमैन ने इस पर असहमति जताई। उन्होंने कहा, “एआई को दुश्मन मानने की जरूरत नहीं। अगर सही तरीके से इस्तेमाल हो, तो यह डॉक्टरों का बोझ कम कर सकता है। यह तेजी से बीमारियों का पता लगाने, कागजी काम को कम करने, और ज्यादा मरीजों को देखने में मदद कर सकता है।” हॉफमैन का यह बयान एआई और चिकित्सा के बीच सहयोग की संभावनाओं को रेखांकित करता है।

मददगार या जोखिम भरा?

हालांकि इस घटना ने एआई की ताकत को उजागर किया, मेडिकल विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि एआई टूल्स पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हो सकते। गलत निदान या सलाह से मरीजों को नुकसान हो सकता है। फिर भी, यह घटना इस बात का सबूत है कि एआई रोजमर्रा की स्वास्थ्य समस्याओं में सहायक हो सकता है। यह बहस अब और तेज हो गई है कि क्या एआई भविष्य में चिकित्सा देखभाल को और सुलभ व प्रभावी बना सकता है।

इस रेडिट यूजर की कहानी न सिर्फ तकनीक की ताकत दिखाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या हम एआई को अपनी जिंदगी में और जगह दे सकते हैं। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि शायद भविष्य में डॉक्टर और एआई मिलकर काम करें, ताकि हर मरीज को तेजी से और सटीक इलाज मिल सके। लेकिन, तब तक हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का इस्तेमाल सुरक्षित और जिम्मेदारी के साथ हो।

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