Gramotthan Project : चमोली की महिलाओं का कमाल, ग्रामोत्थान योजना से 408 महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

चमोली जिले में ग्रामोत्थान परियोजना ने 408 ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार का मौका दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में शुरू इस योजना से बकरी पालन, डेयरी, मशरूम उत्पादन जैसे उद्यमों के जरिए महिलाएं घर बैठे अपनी आजीविका मजबूत कर रही हैं।
चमोली : उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्रामोत्थान परियोजना एक नई उम्मीद बनकर उभरी है, जो ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में बदलाव ला रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में शुरू हुई यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे रही है। इस पहल के जरिए जिले की 408 महिलाएं अब स्वरोजगार की राह पर चल पड़ी हैं और अपने घरों से ही अपनी आजीविका को मजबूत कर रही हैं। यह परियोजना न सिर्फ आर्थिक स्वतंत्रता दे रही है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में आत्मनिर्भरता की एक मिसाल भी कायम कर रही है।
जिला परियोजना प्रबंधक ममराज सिंह चौहान ने बताया कि ग्रामोत्थान परियोजना के तहत चमोली में 25 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाए गए हैं। इनके जरिए बकरी पालन, डेयरी यूनिट, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन जैसे कृषि आधारित उद्यमों के साथ-साथ ब्यूटी पार्लर, सिलाई सेंटर, रिटेल शॉप, फर्नीचर निर्माण, ढाबा, रेस्टोरेंट और फूड प्रोसेसिंग जैसे गैर-कृषि व्यवसायों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस योजना से अब तक 53 लोग कृषि आधारित योजनाओं से, 55 लोग गैर-कृषि उद्यमों से और 300 लोग एक्ट्रीम व अल्ट्रा पुअर योजना से लाभान्वित हुए हैं। परियोजना में 30% हिस्सा सरकार, 20% लाभार्थी और बाकी बैंक ऋण से पूरा किया जाता है, जिससे ग्रामीण आसानी से अपना व्यवसाय शुरू कर पाते हैं।
लाभार्थियों की जुबानी इस योजना की सफलता साफ झलकती है। टंगसा गांव की मंजू देवी ने बताया कि 2024-25 में उन्होंने इस योजना के तहत मिनी डेयरी शुरू की। आज वह हर दिन 22 लीटर दूध बेचकर 18 से 20 हजार रुपये कमा रही हैं। मंजू कहती हैं कि इस योजना ने उन्हें आर्थिक मजबूती दी और अब वह अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य देख रही हैं।
वहीं, कुजौं-मैकोट की अमिता देवी ने गांव में रिटेल शॉप खोली, जिससे वह घर बैठे हर महीने 10 हजार रुपये की शुद्ध आय कमा रही हैं। अमिता का मानना है कि यह योजना गरीब परिवारों की जिंदगी संवारने में कारगर साबित हो रही है।
यह परियोजना ग्रामीण महिलाओं के लिए सिर्फ रोजगार का जरिया नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गई है। चमोली की ये महिलाएं अब अपने सपनों को सच कर रही हैं और समाज में एक नई मिसाल पेश कर रही हैं।