Uttarakhand Exclusive : सरकार की तिजोरी भरेगा अडानी ग्रुप? केदारनाथ रोपवे में करेगा निवेश

Uttarakhand Exclusive : केदारनाथ यात्रा अब 36 मिनट में! 4,081 करोड़ का रोपवे प्रोजेक्ट मंजूर, 13 किमी लंबा दुनिया का सबसे लंबा रोपवे बनेगा। अडानी का 42% रेवेन्यू शेयर, रोज 18,000 यात्री लाभान्वित। उत्तराखंड पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा। हेमकुंड साहिब रोपवे भी शुरू।
Uttarakhand Exclusive : सरकार की तिजोरी भरेगा अडानी ग्रुप? केदारनाथ रोपवे में करेगा निवेश 

Uttarakhand Exclusive : केदारनाथ धाम की पवित्र यात्रा अब और आसान होने वाली है। जहां पहले श्रद्धालुओं को 8-9 घंटे की कठिन पैदल चढ़ाई करनी पड़ती थी, वहां अब मात्र 36 मिनट में बाबा केदार के दर्शन संभव होंगे। यह चमत्कार मुमकिन करेगा एक भव्य रोपवे प्रोजेक्ट, जिसे सरकार ने 4,081 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दे दी है। यह न केवल तीर्थयात्रियों के लिए राहत की सौगात है, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नया अध्याय लिखेगा।

दुनिया का सबसे लंबा रोपवे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल यह रोपवे 13 किलोमीटर लंबा होगा, जो सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक जाएगा। इसे दुनिया का सबसे लंबा रोपवे माना जा रहा है। पहले चरण में 9.7 किलोमीटर का हिस्सा गौरीकुंड से केदारनाथ तक तैयार होगा। यह रोपवे Tri-cable Detachable Gondola (3S) तकनीक पर आधारित होगा, जिसमें एक बार में 36 यात्री सफर कर सकेंगे। रोजाना 18,000 और सालाना 32 लाख श्रद्धालु इस सुविधा का लाभ उठा पाएंगे। छह साल में बनकर तैयार होने वाला यह प्रोजेक्ट 35 साल तक निजी कंपनी द्वारा संचालित होगा।

अडानी का योगदान, सरकार की कमाई

इस मेगा प्रोजेक्ट में अडानी एंटरप्राइजेज ने 42% रेवेन्यू शेयरिंग का प्रस्ताव दिया है। चार में से तीन बोलीदाताओं ने नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) के साथ आय साझा करने की इच्छा जताई है। इस मॉडल से सरकार को बिना निवेश के नियमित राजस्व मिलेगा, जो उत्तराखंड के विकास में योगदान देगा। यह PPP (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल का शानदार उदाहरण है, जहां निजी और सरकारी क्षेत्र मिलकर जनता के लिए सुविधाएं बढ़ा रहे हैं।

सिर्फ केदारनाथ नहीं, हेमकुंड साहिब भी

यह योजना केवल केदारनाथ तक सीमित नहीं है। सरकार ने गोविंदघाट-घांघरिया-हेमकुंड साहिब के लिए भी 12.4 किलोमीटर लंबा एक और रोपवे प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसकी लागत 2,730 करोड़ रुपये है। इससे रोजाना 11,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे। इन परियोजनाओं से न केवल तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। होटल, गाइड, और छोटे व्यवसायों को नए अवसर मिलेंगे, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार होगा।

पर्यटन और पर्यावरण का संतुलन

रोपवे प्रोजेक्ट का एक बड़ा फायदा यह है कि यह पर्यावरण के अनुकूल है। पैदल यात्रा के दौरान होने वाले कचरे और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को कम करने में यह मददगार होगा। साथ ही, बुजुर्गों और शारीरिक रूप से अक्षम श्रद्धालुओं के लिए यह एक वरदान साबित होगा। यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड को एक आधुनिक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करेगा, जो विश्व स्तर पर पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

उत्तराखंड के लिए नई उम्मीद

केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट सिर्फ एक यातायात सुविधा नहीं, बल्कि उत्तराखंड के विकास की नई कहानी है। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, रोजगार के अवसर पैदा करेगा, और तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाएगा। सरकार और निजी क्षेत्र का यह सहयोग एक मिसाल बनेगा कि कैसे तकनीक और परंपरा का मेल भारत की आध्यात्मिक धरोहर को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

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