Uttarakhand Gram Panchayat Election : OBC आरक्षण और 'दो से अधिक बच्चे' वाला नियम फिर बना रोड़ा, पंचायत चुनाव अटके

Uttarakhand Gram Panchayat Election : उत्तराखंड में 7000 से अधिक ग्राम पंचायतों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एक बार फिर टलने की कगार पर हैं। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासकों को नियुक्त किया गया था, जिनका कार्यकाल अब बढ़ाया जाएगा। ओबीसी आरक्षण और पंचायती राज एक्ट में संशोधन में देरी के कारण यह स्थिति बनी है। 
Uttarakhand News : OBC आरक्षण और 'दो से अधिक बच्चे' वाला नियम फिर बना रोड़ा, पंचायत चुनाव अटके

Uttarakhand Gram Panchayat Election : उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों के चुनाव एक बार फिर टलने की कगार पर हैं। प्रदेश की 7000 से अधिक ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में नए सिरे से जनप्रतिनिधियों का चयन अब और देर हो सकता है।

विभागीय सूत्रों की मानें तो इन पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल, जो इस महीने खत्म होने वाला है, अब बढ़ाया जाएगा। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है, जब पिछले साल नवंबर और दिसंबर में इन पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका था। हरिद्वार को छोड़कर बाकी सभी जिलों में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर 2024 को, क्षेत्र पंचायतों का 30 नवंबर 2024 को और जिला पंचायतों का 2 दिसंबर 2024 को खत्म हुआ था। 

नियमानुसार, इन सभी पंचायती निकायों में कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव कराए जाने चाहिए थे, लेकिन अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। शासन ने पहले सहायक विकास अधिकारियों को और बाद में निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया था।

ये नियुक्तियां छह महीने या नई पंचायतों के गठन तक के लिए थीं। अब, जबकि यह अवधि समाप्त होने को है, पंचायती राज एक्ट में ओबीसी आरक्षण और दो से अधिक बच्चों वाले नियमों पर संशोधन में देरी के कारण चुनाव की प्रक्रिया और जटिल हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि ओबीसी आरक्षण लागू करने में कम से कम 10-15 दिन और लग सकते हैं, जबकि चुनाव के लिए 25-30 दिन का समय चाहिए। ऐसे में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाना अब अपरिहार्य हो गया है।

इस स्थिति ने न केवल पंचायती व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि विकास कार्यों पर भी असर डाला है। पंचायत संगठन के संयोजक जगत सिंह मर्तोलिया का कहना है कि प्रशासकों के हवाले पंचायतें होने के कारण राज्य वित्त और 15वें वित्त आयोग की 12 जिलों में 16 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च नहीं हो पा रही है।

उनका मानना है कि प्रशासनिक समितियों के जरिए पंचायतों का संचालन होना चाहिए था, ताकि विकास कार्यों में रुकावट न आए। मर्तोलिया ने सरकार से जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गति को तेज किया जा सके। 

लेकिन सूत्रों का कहना है कि शासन जल्द ही इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय ले सकता है। ग्रामीण जनता अब इस उम्मीद में है कि उनकी चुनी हुई पंचायतें जल्द काम शुरू करेंगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक चुनौती है, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। 

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