Uttarakhand News : ट्रेन से हाथी की टक्कर… रेलवे ट्रैक पर ही हुई दर्दनाक मौत

Uttarakhand News : लालकुआं के घने जंगलों और रेलवे ट्रैक के बीच एक बार फिर प्रकृति और मानव निर्मित व्यवस्था की टकराहट ने एक मासूम जान ले ली। सोमवार की रात करीब 11 बजे, तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत लालकुआं-बरेली रेल मार्ग पर एक नर हाथी ट्रेन की चपेट में आ गया। यह हृदय विदारक घटना मुक्तिधाम के पास हुई, जहां जंगल से निकलकर रेलवे लाइन पार करने की कोशिश में यह विशाल प्राणी अपनी जान गंवा बैठा। इस हादसे ने न केवल वन्यजीव प्रेमियों को झकझोर दिया है, बल्कि वन विभाग और रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
हादसे की भयावहता और स्थानीय प्रभाव
जानकारी के अनुसार, आगरा फोर्ट ट्रेन की टक्कर इतनी जोरदार थी कि हाथी हवा में उछलकर रेलवे ट्रैक के किनारे एक घर के पास जा गिरा। इस घटना ने आसपास के लोगों में दहशत फैला दी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह इलाका हाथी कॉरिडोर का हिस्सा है, जहां पहले भी कई हाथी ट्रेनों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
इस बार भी हादसे ने पुरानी लापरवाहियों को उजागर कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। तराई पूर्वी वन प्रभाग के उप प्रभागीय वन अधिकारी अनिल जोशी ने बताया कि हादसे के समय ट्रेन की गति की जांच की जा रही है, क्योंकि इस क्षेत्र में ट्रेनों की स्पीड सीमित करने के निर्देश हैं।
हाथी कॉरिडोर में बार-बार क्यों हो रहे हादसे?
लालकुआं का यह क्षेत्र हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण कॉरिडोर है, जहां वे जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे ट्रैक और जंगल की निकटता इन हादसों का प्रमुख कारण है। इसके बावजूद, न तो रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों की गति को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, न ही वन विभाग ने इन मार्गों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय ट्रेनों की तेज रफ्तार और जंगल में अंधेरे के कारण हाथी चालक की नजर में नहीं आते, जिससे ऐसी दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।
वन विभाग की कार्रवाई और भविष्य की उम्मीद
हादसे के बाद वन विभाग ने ट्रेन चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। अनिल जोशी ने बताया कि विभाग इस मामले की गहन जांच कर रहा है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे के साथ मिलकर काम किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई पर्याप्त होगी? वन्यजीव संरक्षण से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक हाथी कॉरिडोर में रेलवे ट्रैक को सुरक्षित नहीं किया जाता, तब तक ऐसी त्रासदियां रुकने वाली नहीं हैं। वे मांग कर रहे हैं कि इन क्षेत्रों में अंडरपास या ओवरपास बनाए जाएं, ताकि हाथी सुरक्षित रूप से अपने रास्ते पर जा सकें।
रिपोर्ट : ज़फर अंसारी