Uttarakhand News : बागेश्वर खड़िया खनन विवाद पर अदालत सख्त, सोमवार की सुनवाई में आ सकता है बड़ा फैसला

नैनीताल : नैनीताल से खबर है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों में खड़िया खनन से उत्पन्न समस्याओं पर स्वत: संज्ञान लिया है। खनन की वजह से गांवों में दरारें पड़ने की शिकायतों के बाद दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए अगली सुनवाई सोमवार तक के लिए तय की है।
हाईकोर्ट ने पूछे सख्त सवाल
बागेश्वर खड़िया खनन मामले में कोर्ट ने एसपी बागेश्वर चंद्रशेखर आर घोड़के से पूछा कि 55 खदानों की रिपोर्ट जमा करने के बाद बाकी खदानों की जांच का क्या हाल है। कोर्ट ने सरकार से मांग की कि खनन की प्रक्रिया और उसकी वैधता का सबूत पेश किया जाए। साथ ही जांच कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार से सवाल किया कि खदानों की जांच में किन संसाधनों की कमी आ रही है, इसकी जानकारी दें।
आज कोर्ट में क्या हुआ?
शुक्रवार को हुई सुनवाई में एसपी बागेश्वर और जांच कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। एसपी ने बताया कि अब तक 72 खदानों का निरीक्षण हो चुका है, जिनमें से 55 की रिपोर्ट कोर्ट में जमा की गई है। वहीं, अनिल कुमार ने कहा कि संसाधनों की कमी के कारण सभी खदानों की जांच पूरी नहीं हो पाई है।
खदान मालिकों और ग्रामीणों ने रखा अपना पक्ष
खदान मालिकों ने कोर्ट में दावा किया कि उनका खनन कार्य नियमों के तहत हुआ है और कोई अवैध गतिविधि नहीं हुई। उन्होंने खनन पर लगी रोक हटाने की मांग की। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं ने बताया कि क्षेत्र में 147 खड़िया खदानें हैं, जहां पोकलैंड जैसी भारी मशीनों से खनन हुआ, जिससे गांवों में दरारें पड़ीं। ग्रामीणों ने कोर्ट से गुहार लगाई कि अवैध खनन ने उनकी खेती, घर और पानी की व्यवस्था को तबाह कर दिया है।
ग्रामीणों की फरियाद: अब न्याय ही सहारा
कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा कि खड़िया खनन ने उनकी आजीविका छीन ली है। जो लोग सक्षम थे, वे हल्द्वानी जैसे शहरों में चले गए, लेकिन गरीब ग्रामीण अब भी गांवों में संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कई बार अधिकारियों से शिकायत की, मगर कोई समाधान नहीं मिला। अब वे कोर्ट से अपनी समस्या के निदान की उम्मीद लगाए हैं।
पहले भी कोर्ट ने दिखाई सख्ती
उत्तराखंड हाईकोर्ट इस मामले में पहले भी सख्त कदम उठा चुका है। इसी साल 10 जनवरी को हुई सुनवाई में खनन पर रोक बरकरार रखी गई थी और 160 खनन पट्टाधारकों को नोटिस जारी किए गए थे। कोर्ट ने अवैध खनन से हुए नुकसान का मुआवजा सरकार से नहीं, बल्कि खनन करने वालों से वसूलने की बात कही थी।
124 मशीनें सीज, कार्रवाई जारी
10 जनवरी की सुनवाई में बागेश्वर के पुलिस अधीक्षक ने बताया था कि कोर्ट के आदेश पर 124 पोकलैंड और जेसीबी मशीनें जब्त की गई हैं। हाईकोर्ट इस मामले में लगातार निगरानी रख रहा है ताकि ग्रामीणों को न्याय मिल सके।