पीड़ादायक : मरने के बाद भी मां ने 4 साल की बेटी को गोद में रखकर बचा लिया सुरक्षित, जिसने भी देखा पसीज गई उसकी आँखें

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में मंगलवार को हुए बस हादसे में दूल्हे के कई परिजनों के परिवार के सदस्यों की मौत हो गई। लेकिन इस हादसे में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे हर किसी के आंखों में आंसू हैं।
पीड़ादायक : मरने के बाद भी मां ने 4 साल की बेटी को गोद में रखकर बचा लिया सुरक्षित, जिसने भी देखा पसीज गई उसकी आँखें  

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में मंगलवार को हुए बस हादसे में दूल्हे के कई परिजनों के परिवार के सदस्यों की मौत हो गई। लेकिन इस हादसे में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे हर किसी के आंखों में आंसू हैं।

हादसे में 11 घंटे बाद एक 4 साल की मासूम जिंदा मिली है, जो कि अपनी मां की गोद में सुरक्षित रही। हालांकि मां की मौत हो गई है।

मां ने 4 साल की बेटी को गोद में रखकर सुरक्षित बचा लिया

हरिद्वार के लालढांग से पौड़ी गई बारात की बस के खाई में गिरने से अब तक 33 की मौत हो चुकी है। इसमें कई परिवार एक साथ मौत के मुंह में चले गए। लेकिन एक मां ने अपनी 4 साल की बेटी को गोद में रखकर सुरक्षित बचा लिया।

बताया जा रहा है कि दूल्हे की रिश्तेदार गुड़िया अपने 4 साल की बेटी शिवानी को लेकर बारात में जा रही थी। लेकिन हादसे के 11 घंटे बाद बच्ची मां की गोद में सुरक्षित मिली है, जबकि मां की मौत हो गई है। बस के खाई में गिरने के बाद भी मां ने बेटी को गोद में बचा लिया। हालांकि इस हादसे ने मासूम से मां का साया हमेशा के लिए छीन लिया है।

मामा, मामी, भांजे की अर्थी एक घर से उठी

पौड़ी में हुए बस हादसे में रसूलपुर गांव के चार ग्रामीणों की मौत हुई है। इनमें मामा, मामी, भांजे की अर्थी एक घर से उठी। जबकि चौथा एक परिवार का सदस्य है। ग्रामीणों ने मृतकों का अंतिम संस्कार कर दिया है। लालढांग से गई बारात में रसूलपुर गांव से पांच लोग गए थे। सभी दूल्हे के रिश्तेदार हैं।

इनमें चार लोगों की मौत हादसे में मौत हो चुकी है। केवल एक चार साल की बच्ची शिवानी ही गांव से गए बरातियों की बस हादसे से सुरक्षित बची है। मृतकों में दूल्हे के रिश्तेदार मुकेश 36 वर्ष ,गुड़िया, 29 वर्ष, जेठ संगीत 36 वर्ष और संगीत का भांजा पंकज पुत्र गोविंद है।

बृहस्पतिवार सुबह एक साथ चार शवों के पहुंचते ही परिजनों में हाहाकार मच गया। परिजनों और ग्रामीणों की ओर से तीन शवों को हरिद्वार के चंडीघाट श्मशान घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। जबकि मुकेश को नदी किनारे भू.समाधि दी गई है।

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