US-China ट्रेड वॉर में भारत की एंट्री! जानिए कैसे बदल जाएगा ग्लोबल मार्केट

Trump Tariff Policy : अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट में डाला। ट्रंप ने चीनी आयात पर 245% टैरिफ लगाया, जवाब में चीन ने 125% शुल्क बढ़ाया। भारत भी इसकी चपेट में। ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का विरोध बढ़ रहा है। विश्व व्यापार संगठन में विवाद गहराया।  
US-China ट्रेड वॉर में भारत की एंट्री! जानिए कैसे बदल जाएगा ग्लोबल मार्केट

Trump Tariff Policy : दुनिया के दो आर्थिक महाशक्तियों, अमेरिका और चीन, के बीच व्यापार युद्ध की आग अब और भड़कती दिख रही है। यह टकराव न केवल इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत जैसे अन्य देश भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

हाल ही में, अमेरिका ने चीनी आयात पर 245% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर 125% शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की। यह व्यापारिक तनाव अब वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। आइए, इस जटिल मसले को गहराई से समझते हैं।

व्यापार युद्ध की शुरुआत और तेजी

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति ने इस व्यापार युद्ध को हवा दी। उनका दावा है कि यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है। लेकिन इस नीति का नतीजा एक ऐसी जंग के रूप में सामने आया, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर भारी टैरिफ थोप रहे हैं। अमेरिका ने चीनी निर्यात पर पहले 145% टैक्स लगाया, जिसके जवाब में चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिकी आयात पर शुल्क बढ़ाया। अब 245% टैरिफ का ताजा कदम इस टकराव को और गंभीर बना रहा है।

भारत पर पड़ता असर

यह व्यापार युद्ध केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है। भारत, जो वैश्विक व्यापार का एक अहम हिस्सा है, भी इसकी आंच से अछूता नहीं रहा। ट्रंप की नीतियों के कारण भारतीय निर्यात पर भी अतिरिक्त शुल्क का बोझ पड़ सकता है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा। भारतीय उद्योगपति और व्यापारी इस अनिश्चितता से चिंतित हैं, क्योंकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से लागत बढ़ रही है। साथ ही, भारतीय उपभोक्ताओं को भी महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।

जनता का गुस्सा और ट्रंप का अड़ियल रवैया

अमेरिका में भी ट्रंप की नीतियों का विरोध बढ़ता जा रहा है। पिछले सप्ताह, हजारों अमेरिकी नागरिक सड़कों पर उतर आए और इन टैरिफ नीतियों को वापस लेने की मांग की। उनका मानना है कि ये नीतियां न केवल व्यापार को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि आम लोगों की जेब पर भी भारी पड़ रही हैं। लेकिन ट्रंप अपने रुख पर अडिग हैं। उनका कहना है कि ये कदम अमेरिकी किसानों और उद्योगों के हित में हैं। दूसरी ओर, चीन भी पीछे हटने को तैयार नहीं। दोनों देशों की हठधर्मिता इस जंग को और लंबा खींच रही है।

वैश्विक मंच पर विवाद

इस व्यापार युद्ध का असर अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिख रहा है। चीन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के खिलाफ शिकायत दर्ज की है, जिसमें टैरिफ को अनुचित ठहराया गया है। लेकिन अमेरिका ने इस शिकायत को खारिज करते हुए अपनी कार्रवाई को जायज बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद जल्द सुलझने वाला नहीं है। दोनों देश अपनी-अपनी आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है।

क्या है इस युद्ध का भविष्य?

यह सवाल हर किसी के मन में है कि यह व्यापार युद्ध कब और कैसे खत्म होगा? ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दोनों ही अपने-अपने देशों में राष्ट्रवादी भावनाओं को भुनाने में लगे हैं। ट्रंप जहां ‘अमेरिका फर्स्ट’ का नारा दे रहे हैं, वहीं चीन भी अपनी नीतियों को देशभक्ति का जामा पहना रहा है। लेकिन इस अहंकार की जंग में वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था की स्थिरता दांव पर लगी है। भारत जैसे देशों को इस अनिश्चितता के बीच सावधानी से कदम उठाने होंगे ताकि आर्थिक नुकसान को कम किया जा सके।

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