Kashmir Issue : कश्मीर पर फिर पाकिस्तान की बोलती बंद! जानिए इस बार कैसे हुई बेइज्जती?

Kashmir Issue : पाकिस्तान अपनी पुरानी आदतों से बाज नहीं आता। समय-समय पर वह कश्मीर के मुद्दे पर बयानबाजी करता रहता है, लेकिन हर बार भारत के करारे जवाब से उसे मुंह की खानी पड़ती है। हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर को "गले की नस" बताकर एक बार फिर विवाद खड़ा किया।
इस पर भारत ने न केवल कड़ा पलटवार किया, बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। आइए, इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि भारत ने कैसे पाकिस्तान को उसकी हद में रहने की नसीहत दी।
जनरल मुनीर का बयान: कश्मीर पर फिर वही राग
इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम, ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन, को संबोधित करते हुए जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर को लेकर उटपटांग बयान दिया। उन्होंने कहा, "कश्मीर हमारी गले की नस थी और रहेगी। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।" मुनीर ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान में आतंकवाद और प्रचार के कारण निवेश प्रभावित हो रहा है, लेकिन वह कश्मीर के मुद्दे को कभी नहीं भूलेंगे।
इसके साथ ही, उन्होंने 1947 के विभाजन और दो-राष्ट्र सिद्धांत का जिक्र करते हुए भारत और पाकिस्तान को धर्म, संस्कृति और सोच के आधार पर अलग-अलग बताया। इस बयान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान अपनी नाकाम नीतियों और भड़काऊ बयानों से बाज नहीं आता।
भारत का करारा जवाब: PoK हमारा, खाली करो!
जनरल मुनीर के बयान पर भारत ने देर नहीं की और तुरंत करारा जवाब दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ शब्दों में कहा, "कोई विदेशी चीज गले की नस कैसे हो सकती है? जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं।" उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का कश्मीर से एकमात्र संबंध उस क्षेत्र को खाली करना है, जिस पर उसने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है।
जायसवाल का यह बयान न केवल पाकिस्तान की बयानबाजी का जवाब था, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत PoK को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। भारत की इस दो-टूक प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिला दी।
PoK पर भारत का रुख
भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसमें PoK भी शामिल है, उसके अभिन्न हिस्से हैं। पाकिस्तान द्वारा PoK पर अवैध कब्जा एक ऐतिहासिक भूल है, जिसे सुधारने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठाया है और PoK में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात को प्रमुखता से रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह बयानबाजी उसकी आंतरिक अस्थिरता और आर्थिक संकट से ध्यान हटाने की कोशिश है। लेकिन भारत का सख्त रवैया दर्शाता है कि वह किसी भी उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
पाकिस्तान की बयानबाजी: क्यों बार-बार कश्मीर?
पाकिस्तान की यह बयानबाजी कोई नई बात नहीं है। वह दशकों से कश्मीर को लेकर उकसावेपूर्ण टिप्पणियां करता रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना और सरकार कश्मीर के मुद्दे को अपनी राजनीतिक और सैन्य रणनीति का हिस्सा बनाए रखना चाहती हैं। इससे वह अपने देश में राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काने की कोशिश करती है। लेकिन हर बार भारत के कड़े रुख के सामने उसकी यह चाल नाकाम हो जाती है। इस बार भी जनरल मुनीर का बयान न केवल हास्यास्पद था, बल्कि यह पाकिस्तान की कश्मीर नीति की विफलता को भी उजागर करता है।
आगे क्या? भारत की रणनीति
भारत का रुख स्पष्ट है: कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है और PoK को वापस लेना उसका अधिकार है। भारत न केवल कूटनीतिक स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को मजबूती से उठाता रहेगा। साथ ही, वह पाकिस्तान के हर उकसावे का जवाब देने के लिए तैयार है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि बयानबाजी से न तो कश्मीर का मुद्दा हल होगा और न ही उसकी अंतरराष्ट्रीय साख सुधरेगी।