Russia-Ukraine War : रूस ने यूक्रेन में भारतीय कंपनी पर किया मिसाइल हमला, करोड़ों का हुआ नुकसान!

Russia-Ukraine War : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बार जंग की आग ने भारत को भी झुलसाया है। कीव में एक भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी के गोदाम पर रूसी हमले ने सबको चौंका दिया। यह हमला न सिर्फ कंपनी के लिए, बल्कि युद्ध की जटिलताओं को समझने के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। आइए, इस घटना के हर पहलू को करीब से देखें।
कीव में भारतीय कंपनी पर हमला
युद्धग्रस्त यूक्रेन की राजधानी कीव में हाल ही में एक भारतीय फार्मा कंपनी का गोदाम राख में तब्दील हो गया। रूस के हमले में गोदाम पूरी तरह नष्ट हो गया, जिसमें बच्चों और बुजुर्गों के लिए जरूरी दवाइयों का बड़ा भंडार था। इस हमले से कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गोदाम से उठता धुआं कई किलोमीटर तक दिखाई दे रहा था। यह घटना सिर्फ आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं, बल्कि युद्ध के दौरान मानवीय संकट को और गहरा सकती है, क्योंकि ये दवाइयां यूक्रेनी नागरिकों के लिए बेहद जरूरी थीं।
मिसाइल या ड्रोन
हमले को लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं। यूक्रेन का कहना है कि रूस ने जानबूझकर भारतीय कंपनी को निशाना बनाया। भारत में यूक्रेनी दूतावास ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि रूस का यह कदम निंदनीय है। दूसरी ओर, ब्रिटिश राजदूत मार्टिन हैरिस ने दावा किया कि यह हमला रूसी ड्रोनों ने किया, न कि मिसाइलों से। ड्रोनों ने गोदाम को पूरी तरह तबाह कर दिया। रूस ने इन आरोपों पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन उसका दावा है कि यूक्रेन ने हाल ही में रूस के ऊर्जा ढांचे पर हमले किए, जो दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है।
भारत-रूस संबंधों पर सवाल
रूस और भारत के बीच दशकों पुरानी दोस्ती जगजाहिर है। फिर भी, इस हमले ने कई सवाल खड़े किए हैं। यूक्रेन का दावा है कि रूस जानबूझकर भारतीय हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब युद्ध की चपेट में भारतीय कंपनियां आई हैं, लेकिन इस बार मामला गंभीर है। भारत सरकार ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। जानकारों का मानना है कि भारत इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठाएगा, क्योंकि वह दोनों देशों के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखना चाहता है।
युद्ध का मानवीय संकट
यह हमला सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं। दवाइयों की कमी से यूक्रेन में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। युद्ध के बीच पहले से ही अस्पतालों में संसाधनों की कमी है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए जरूरी दवाइयां नष्ट होने से स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हमले की निंदा की है, लेकिन युद्ध का अंत अभी दूर दिख रहा है।
भविष्य की आशंकाएं
रूस और यूक्रेन के बीच हाल ही में एक समझौता हुआ था, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के ऊर्जा ढांचे पर हमले न करने का वादा किया था। लेकिन रूस का कहना है कि यूक्रेन ने इस समझौते को तोड़ा। दूसरी ओर, यूक्रेन का दावा है कि रूस लगातार नागरिक ठिकानों को निशाना बना रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या युद्ध और गहराएगा? और क्या भारतीय कंपनियां इसकी चपेट में और आएंगी?
कीव में भारतीय फार्मा कंपनी पर हुआ हमला युद्ध की क्रूरता का एक और उदाहरण है। यह घटना न केवल आर्थिक नुकसान की कहानी कहती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी प्रभावित कर सकती है। हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि युद्ध के इस दौर में मानवीय मूल्यों की रक्षा हो और निर्दोष लोग इसका शिकार न बनें।