6 जून 2025 पंचांग: आज बन रहा है दुर्लभ योग, भूलकर भी न करें ये एक काम

6 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी होगी, जो हिंदू पंचांग में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है। इस दिन हस्त नक्षत्र और व्यतिपाता योग का संयोग रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से 12:39 तक और राहुकाल सुबह 10:33 से 12:12 तक रहेगा। चंद्रमा कन्या राशि में संचरण करेंगे। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह दिन शुभ कार्यों और भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष है।
6 जून 2025 पंचांग: आज बन रहा है दुर्लभ योग, भूलकर भी न करें ये एक काम

6 जून 2025 पंचांग: हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व है, जो समय और काल की सटीक गणना के लिए उपयोग किया जाता है। 6 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि होगी, जिसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है।

इस दिन व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। आइए, इस लेख में हम 6 जून 2025 के वैदिक पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, नक्षत्र, योग और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानते हैं। यह जानकारी आपके धार्मिक और शुभ कार्यों को सही समय पर करने में मदद करेगी।

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन लेकिन अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन भक्त बिना जल ग्रहण किए व्रत रखते हैं, जिससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल भर की सभी एकादशियों का फल मिलता है। 6 जून 2025 को यह पवित्र दिन हस्त नक्षत्र और व्यतिपाता योग के संयोग में मनाया जाएगा, जो इसे और भी विशेष बनाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और दान-पुण्य के कार्य करते हैं।

6 जून 2025 के शुभ मुहूर्त और राहुकाल

6 जून 2025 को शुक्रवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:39 तक रहेगा। यह समय शुभ कार्यों जैसे पूजा-पाठ, विवाह, या नए कार्य शुरू करने के लिए उत्तम माना जाता है। वहीं, राहुकाल सुबह 10:33 से दोपहर 12:12 तक रहेगा। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य शुरू करना वर्जित माना जाता है। इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में संचरण करेंगे, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सूर्योदय सुबह 05:33 बजे और सूर्यास्त शाम 07:51 बजे होगा।

हिंदू पंचांग के पांच अंग

वैदिक पंचांग पांच प्रमुख अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—पर आधारित होता है। ये अंग समय की सटीक गणना और शुभ-अशुभ मुहूर्त निर्धारित करने में मदद करते हैं। 6 जून 2025 को तिथि एकादशी (28:48 तक), नक्षत्र हस्त (06:28 तक), प्रथम करण वणिज (15:32 तक), द्वितीय करण विष्टि (28:48 तक), और योग व्यतिपाता (10:06 तक) रहेगा। ये सभी तत्व धार्मिक और ज्योतिषीय कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

तिथि, नक्षत्र, और योग का महत्व

  • तिथि: हिंदू पंचांग में तिथि चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय होती है। एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं। 6 जून को एकादशी तिथि होगी, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष है।
  • नक्षत्र: हस्त नक्षत्र इस दिन सुबह 06:28 तक रहेगा। नक्षत्र आकाश में तारा समूह होते हैं, जिनका ज्योतिष में विशेष महत्व है। कुल 27 नक्षत्र हैं, जैसे अश्विन, भरणी, कृत्तिका, आदि।
  • योग: व्यतिपाता योग इस दिन सुबह 10:06 तक रहेगा। योग सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरी पर आधारित होते हैं और शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त समय तय करने में सहायक होते हैं।
  • करण: इस दिन वणिज और विष्टि करण रहेंगे। विष्टि करण को भद्रा कहा जाता है, जिसमें शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
  • वार: शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह से संबंधित है, जो प्रेम, सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

ज्योतिषीय गणना और धार्मिक महत्व

6 जून 2025 को विक्रमी संवत 2082 और शक संवत 1947 (विश्वावसु) होगा। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में यह दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्त निर्जला एकादशी के व्रत के साथ-साथ दान, जप, और तप करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक कार्यों बल्कि ज्योतिषीय गणनाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शुभ मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति के आधार पर कार्यों को करने का सही समय बताता है।

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