Health Tips : डायबिटीज के मरीज अब चावल से न डरें, आयुर्वेद का ये फॉर्मूला बदल देगा आपकी जिंदगी

Health Tips : पुराने चावल, जैसे Brown Rice या Basmati Rice, चुनें, उन्हें 30 मिनट तक भिगोएं, ढेर सारे पानी में पकाकर स्टार्च हटाएं और धीमी आंच पर पकाएं। 
Health Tips : डायबिटीज के मरीज अब चावल से न डरें, आयुर्वेद का ये फॉर्मूला बदल देगा आपकी जिंदगी

Health Tips : क्या आप भी चावल को वजन बढ़ाने का दुश्मन मानते हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए है! चावल, जो भारतीय थाली का दिल है, उसे सही तरीके से पकाने और खाने से न सिर्फ स्वाद दोगुना होता है, बल्कि सेहत भी बनती है।

आयुर्वेद और विज्ञान दोनों इस बात को मानते हैं कि चावल अपने आप में कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। असल बात है इसे पकाने और खाने का सही तरीका। आइए, जानते हैं कि कैसे आप चावल को अपने आहार का हिस्सा बनाकर डायबिटीज, मोटापा और पाचन की समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

पुराने चावल: सेहत का खजाना

आयुर्वेद के अनुसार, ताजा चावल की तुलना में एक साल पुराना चावल खाना ज्यादा फायदेमंद है। पुराना चावल हल्का और सुपाच्य होता है, जो आपके पेट को सहज रखता है। चाहे आप Brown Rice, Red Rice या Basmati Rice चुनें, ध्यान रखें कि ये ज्यादा पॉलिश न किए गए हों।

ये चावल न सिर्फ पौष्टिक होते हैं, बल्कि पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाते हैं। तो अगली बार जब आप चावल खरीदें, तो पुराने चावल को प्राथमिकता दें।

भिगोने की कला: चावल को बनाएं और हल्का

चावल को पकाने से पहले उसे भिगोना एक पुरानी परंपरा है, जिसे विज्ञान भी सही ठहराता है। चावल को कम से कम 30 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 1 घंटे तक पानी में भिगोने से इसके पोषक तत्व सक्रिय हो जाते हैं।

इससे चावल न सिर्फ जल्दी पकता है, बल्कि पचाने में भी आसानी होती है। यह छोटा सा कदम आपके पाचन को दुरुस्त रखने में बड़ा रोल निभाता है।

स्टार्च हटाएं, सेहत बढ़ाएं

क्या आप जानते हैं कि चावल में मौजूद स्टार्च पाचन की सबसे बड़ी बाधा हो सकता है? आयुर्वेद सलाह देता है कि चावल को ढेर सारे पानी में उबालें और फिर अतिरिक्त पानी को छान लें। इस प्रक्रिया से स्टार्च निकल जाता है, जो कफ दोष या शरीर में टॉक्सिन्स की समस्या वालों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है।

यह तरीका न सिर्फ चावल को हल्का बनाता है, बल्कि डायबिटीज और मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए भी इसे सुरक्षित बनाता है।

धीमी आंच पर पकाएं, प्राण बचाएं

आयुर्वेद कहता है कि हर भोजन में “प्राण” यानी जीवन ऊर्जा होती है। प्रेशर कुकर में तेज आंच पर चावल पकाने से यह ऊर्जा नष्ट हो सकती है। इसलिए, चावल को हमेशा धीमी आंच पर पकाएं।

इससे न सिर्फ चावल का स्वाद बढ़ता है, बल्कि इसके प्राकृतिक गुण भी बरकरार रहते हैं। तो अगली बार जब आप चावल बनाएं, तो थोड़ा समय निकालकर इसे प्यार से पकाएं।

मसालों का जादू: स्वाद और सेहत का मेल

चावल का स्वाद और सेहत सिर्फ चावल पर नहीं, बल्कि इसमें डाले जाने वाले मसालों पर भी निर्भर करता है। Turmeric, Bay Leaf, Ginger और Cardamom जैसे मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर के दोषों को संतुलित करने में भी मदद करते हैं।

अगर आप वात दोष से परेशान हैं, तो Cumin, Asafoetida, Ghee और Ginger का इस्तेमाल करें। पित्त दोष वालों के लिए Fennel, Coriander और Cardamom बेहतर हैं, जबकि कफ दोष वालों को Black Pepper, Mustard Seeds और Turmeric के साथ चावल पकाना चाहिए। अपने शरीर की प्रकृति को समझें और मसालों का चयन उसी हिसाब से करें।

ताजा और गर्म चावल ही खाएं

आयुर्वेद में बासी या फ्रिज में रखा हुआ चावल खाने की सख्त मनाही है। ठंडा चावल पचने में भारी होता है और शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ा सकता है। इसलिए, हमेशा ताजा और गर्म चावल खाएं। यह न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है।

चावल को अपनी थाली से हटाने की जरूरत नहीं है, बस इसे सही तरीके से पकाएं और खाएं। पुराने चावल का चयन, भिगोने की प्रक्रिया, स्टार्च हटाना, धीमी आंच पर पकाना और सही मसालों का इस्तेमाल—ये छोटे-छोटे कदम आपके चावल को सेहत का खजाना बना सकते हैं।

तो आज से ही इन आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाएं और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाकर स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

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