Period Health : सिर्फ एक आदत से बिगड़ सकती है आपकी पीरियड हेल्थ, बन सकती है गंभीर खतरा

Period Health : हर महीने कुछ दिन ऐसे होते हैं जो शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी महिलाओं को थका देते हैं। पेट में ऐंठन, सूजन, चिड़चिड़ापन—ये सब मिलकर एक ही सवाल खड़ा करते हैं: “कब खत्म होंगे ये दिन?” और हाँ, हर बार पेनकिलर लेना कोई समझदारी नहीं।
शायद आपको ये जानकर राहत मिले कि कुछ आदतों में छोटे-छोटे बदलाव लाकर आप इन दिनों को थोड़ा कम तकलीफदेह बना सकती हैं।
नमक का सेवन क्यों घटाना ज़रूरी है?
क्या आपने कभी नोटिस किया है कि पीरियड्स के दौरान नमकीन चीज़ें खाने से सूजन और दर्द कुछ ज़्यादा महसूस होता है? दरअसल, शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ने से वॉटर रिटेंशन होता है, जिससे ब्लोटिंग और ऐंठन बढ़ जाती है।
और यही वजह है कि चिप्स, नमकीन, और पैकेज्ड फूड्स इन दिनों आपके सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं।
अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की एक रिपोर्ट बताती है कि ज़रूरत से ज़्यादा सोडियम न सिर्फ डाइजेशन बिगाड़ता है, बल्कि पीरियड्स के दर्द को और बढ़ा सकता है। तो अगली बार, जब क्रैम्प्स सताएं, ज़रा नमक की मात्रा पर भी ध्यान दीजिए।
खाना छोड़ना नहीं, सही खाना ज़रूरी है
पेट में मरोड़ हो, मूड ऑफ हो—कई बार इस दर्द के चक्कर में हम खाना छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा करने से शरीर और ज़्यादा थक जाता है, और मूड स्विंग्स भी बढ़ जाते हैं। दूसरी ओर, अगर आप इस मौके पर जंक फूड से पेट भर लें, तो भी परेशानी कम नहीं होगी।
इन दिनों शरीर को ज़रूरत होती है हल्के, संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार की। ताजे फल, सूप, उबली सब्ज़ियां और नट्स जैसे विकल्प न केवल शरीर को आराम देते हैं, बल्कि ऊर्जा भी बनाए रखते हैं।
कॉफी को कहिए ‘थोड़ा ब्रेक’
कॉफी से सुबह की शुरुआत हो या दिन भर की थकान दूर करने की आदत—कैफीन इन दिनों एक तरह का कंफर्ट लगता है। लेकिन अगर आप जानतीं कि यही कैफीन पीरियड्स के दर्द को और तीव्र बना सकता है, तो शायद अगली बार सोचकर ही कप उठाएं।
एक शोध के अनुसार, कैफीन का ज़्यादा सेवन हार्मोनल असंतुलन बढ़ा सकता है, जिससे पीरियड्स लंबा खिंचते हैं और ब्लीडिंग भी ज़्यादा हो सकती है। खासकर उन महिलाओं को, जिन्हें स्तनों में संवेदनशीलता या दर्द महसूस होता है, उन्हें कॉफी से थोड़ी दूरी बना लेनी चाहिए।
हाइजीन से समझौता नहीं करें
ये शायद सुनने में बहुत बेसिक लगे, लेकिन पीरियड्स के दौरान सफाई से जुड़ी लापरवाहियाँ बहुत आम हैं। कई बार हम समय पर पैड नहीं बदलते—कभी आलस में, तो कभी सोचते हैं “थोड़ा और चल जाएगा।” लेकिन ये आदत आपको बड़ी मुश्किल में डाल सकती है।
हर 4-6 घंटे में सैनिटरी प्रोडक्ट बदलना बेहद ज़रूरी है, चाहे ब्लीडिंग कम हो या ज़्यादा। ऐसा न करने पर बैक्टीरिया बढ़ सकता है, जिससे रैशेज, बदबू और यहां तक कि Toxic Shock Syndrome का खतरा भी हो सकता है।
छोटे बदलाव, बड़ी राहत
हर महीने की ये मुश्किल कुछ महिलाओं के लिए कुछ घंटे की होती है, तो कुछ के लिए कई दिनों की। लेकिन अच्छी बात ये है कि इन समस्याओं को पूरी तरह मिटाया तो नहीं जा सकता, मगर संभाला ज़रूर जा सकता है।
थोड़ा नमक कम कर दें, कॉफी पर ब्रेक लगाएं, जंक फूड से दूरी बनाएं और सफाई का पूरा ध्यान रखें। इन आसान बदलावों से आपका अनुभव कहीं ज़्यादा सहज हो सकता है।