Funeral Clothes Tradition : मृत्यु के बाद क्यों बदलते हैं मृतक के कपड़े, जानिए इस रहस्य से जुड़ी मान्यताएं

Funeral Clothes Tradition : जानिए क्यों पहनाते हैं अंतिम संस्कार में मृतक को नए कपड़े—धार्मिक, भावनात्मक और सामाजिक संदर्भ सहित। गर्लड पुराण की शिक्षा और हमारे भावनात्मक जुड़ाव की सच्ची कहानी।
Funeral Clothes Tradition : मृत्यु के बाद क्यों बदलते हैं मृतक के कपड़े, जानिए इस रहस्य से जुड़ी मान्यताएं

Funeral Clothes Tradition : भारत में जीवन और मृत्यु से जुड़ी परंपराएं केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतिबिंब हैं।

इन्हीं परंपराओं में एक गहराई से जुड़ी रस्म है – अंतिम संस्कार से पहले मृत व्यक्ति को नए वस्त्र पहनाना। सुनने में यह एक सामान्य सी बात लग सकती है, लेकिन इसके पीछे छिपा अर्थ बेहद गहरा और संवेदनशील है।

आत्मा की पवित्रता और गरुड़ पुराण की दृष्टि

हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात की यात्रा को समझाने के लिए गरुड़ पुराण को एक प्रमुख ग्रंथ माना गया है। इसमें आत्मा के अगले लोक की यात्रा का वर्णन मिलता है और बताया जाता है कि कैसे आत्मा को पवित्रता के साथ विदा देना जरूरी है।

यही वजह है कि मृत व्यक्ति को स्नान कराने के बाद नए और स्वच्छ कपड़े पहनाए जाते हैं। यह आत्मा के सम्मान की बात है — मानो एक आखिरी बार उसे आदरपूर्वक विदा किया जा रहा हो।

यह सिर्फ परंपरा नहीं, परिवार की भावनाओं का सम्मान है

अक्सर अंतिम संस्कार को केवल धार्मिक क्रिया समझ लिया जाता है, लेकिन यह उससे कहीं आगे की चीज़ है। जब कोई अपने प्रिय को विदा करता है, तो वो चाहता है कि उसकी आखिरी झलक सबसे सुंदर हो। नए वस्त्र पहनाना एक तरह से परिवार की श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक बन जाता है।

कई बार मृतक की पसंद के कपड़े पहनाए जाते हैं — जैसे कोई कह रहा हो, “तुम जैसे थे, वैसे ही हमेशा याद रखे जाओगे।”

आधुनिकता के दौर में परंपराओं की अहमियत

आज जब जिंदगी भागती जा रही है, जब तकनीक हर रिश्ते को छू रही है — ऐसे में ये रस्में हमें हमारे मानवीय मूल्यों की याद दिलाती हैं। यह सिर्फ एक शव को वस्त्र पहनाने की बात नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि हम मृत्यु को भी एक गरिमा के साथ स्वीकार करते हैं।

यह हमारे सामाजिक संस्कारों और सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी दिल से जुड़ा चला आ रहा है। अंतिम संस्कार की यह छोटी-सी दिखने वाली परंपरा अपने भीतर बहुत कुछ समेटे हुए है।

यह हमें सिखाती है कि मृत्यु भी एक सुंदर समापन हो सकता है, अगर हम उसे श्रद्धा और गरिमा के साथ स्वीकार करें। नए कपड़े पहनाना उस सम्मान और प्रेम की अभिव्यक्ति है जो जीवन के अंतिम क्षणों में भी झलकता है।

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