Nirjala Ekadashi 2025 Paran Vidhi: पारण में ये गलती कर दी तो पूरा व्रत होगा निष्फल! जानिए सही समय और विधि

Nirjala Ekadashi 2025 Paran Vidhi: निर्जला एकादशी 2025 का व्रत 6 जून को मनाया जाएगा, और इसका पारण 7 जून, शनिवार को द्वादशी तिथि में सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे के शुभ मुहूर्त में होगा। यह व्रत भगवान Vishnu और माता Lakshmi की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। पारण के दौरान सात्विक भोजन, तुलसी मंत्र जप, और जल दान जैसे कार्य व्रत के पुण्य को बढ़ाते हैं।
Nirjala Ekadashi 2025 Paran Vidhi: पारण में ये गलती कर दी तो पूरा व्रत होगा निष्फल! जानिए सही समय और विधि

Nirjala Ekadashi 2025 Paran Vidhi: निर्जला एकादशी, हिंदू धर्म में सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रतों में से एक, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में यह पवित्र व्रत 6 जून को होगा, और इसका पारण अगले दिन, यानी 7 जून, शनिवार को द्वादशी तिथि में किया जाएगा।

निर्जला एकादशी का पारण व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ करता है, उसे भगवान Vishnu और माता Lakshmi की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

यह व्रत न केवल आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। आइए जानते हैं कि निर्जला एकादशी 2025 का पारण कब, कैसे और क्यों करना चाहिए, ताकि आप इस पवित्र दिन का पूरा लाभ उठा सकें।

निर्जला एकादशी पारण का महत्व

निर्जला एकादशी का पारण व्रत का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। शास्त्रों के अनुसार, यदि पारण सही समय और विधि से नहीं किया जाता, तो व्रत का पुण्य नष्ट हो सकता है। द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में पारण करने से व्रती को भगवान Vishnu का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह व्रत केवल भूखे रहने का नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और दान का प्रतीक है। पारण के दौरान भगवान Vishnu और माता Lakshmi की पूजा, मंत्र जप और दान-पुण्य से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन जल, अन्न और वस्त्र दान करने की परंपरा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।

निर्जला एकादशी 2025 पारण का शुभ समय

निर्जला एकादशी 2025 का पारण द्वादशी तिथि में किया जाएगा, जो 6 जून 2025 की शाम 6:33 बजे शुरू होगी और 7 जून को संपन्न होगी। पारण का शुभ मुहूर्त 7 जून को सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा। इस समय में व्रत का समापन करना सबसे उत्तम माना जाता है। सूर्योदय के बाद और शुभ मुहूर्त में पारण करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसलिए, समय का विशेष ध्यान रखें और विधि-विधान के साथ व्रत का समापन करें।

निर्जला एकादशी पारण की विधि

निर्जला एकादशी का पारण करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान Vishnu और माता Lakshmi की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर पूजा शुरू करें। पूजा में पीले फूल, तुलसी पत्र, चंदन, अक्षत और जल अर्पित करें।

भगवान को फल, दूध और मिष्ठान्न का भोग लगाएं। इसके बाद तुलसी माला से "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 108 बार जप करें। Vishnu Sahasranama और Kanakadhara Stotra का पाठ करें, जो इस दिन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। पूजा के अंत में भगवान Vishnu और माता Lakshmi की आरती करें और उनसे व्रत में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।

पारण के समय "ॐ विष्णवे नमः" मंत्र का जप करते हुए तुलसी दल मुंह में रखें और गंगाजल पीकर व्रत तोड़ें। इस दिन सात्विक भोजन जैसे फल, दूध या हल्का खाना ग्रहण करें। पारण के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को जल से भरा कलश, अन्न, वस्त्र, पंखा, छाता या दक्षिणा दान करें। यह दान व्रत के पुण्य को और बढ़ाता है।

पारण में क्या खाएं?

निर्जला एकादशी के पारण में सात्विक और शुद्ध भोजन का ही सेवन करें। भारी, तैलीय या मसालेदार भोजन से बचें। फल, दूध, दही, खिचड़ी या साबुदाना जैसे हल्के और पवित्र भोजन आदर्श हैं। भोजन करने से पहले भगवान Vishnu का ध्यान करें और तुलसी दल के साथ गंगाजल ग्रहण करें। यह न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि मन को भी शांति प्रदान करता है।

दान का विशेष महत्व

निर्जला एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन जल से भरा कलश दान करना सबसे पुण्यदायी माना जाता है। इसके अलावा, अन्न, वस्त्र, शक्कर, पंखा या छाता दान करने से भी विशेष फल प्राप्त होता है। यह दान जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को देने से व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि और भगवान Vishnu की कृपा बनी रहती है।

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