Haryana News : क्या है स्पीकर हरविंद्र कल्याण की कोठी नंबर 48 के पीछे की असल कहानी? उठ रही तरह-तरह की अफवाहें
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण की चडीगढ़ में मौजूद सेक्टर 2 की कोठी नंबर 48 आलोट होने के बाद में तरह-तरह की नकारात्मक भ्रांतियां समाज में सुनने को मिल रही है। तरह-तरह से गलत प्रचार इस कोठी को रहस्यमई साबित करने में लगे हुए हैं।
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लेकिन शायद इस प्रकार के मिथ्या प्रचार करने वालों ने इसके अतीत पर ज्यादा नजर नहीं डाली होगी। कहा जा रहा है कि यह कोठी जिसे भी अलाट हुई अगली बार उस व्यक्ति ने कोई भी चुनाव नहीं जीता। लेकिन यह बात बिल्कुल गलत और बिना धरातल का है। क्योंकि इस कोठी में रहे बहुत से लोगों ने बाद में इतिहास रचे हैं।
मुख्यमंत्री आवास के पास मौजूद यह कोठी अब हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हरविंदर कल्याण को अलाट की गई है। हरविंद्र कल्याण अपने क्षेत्र घरौंडा के बेहद पसंदीदा नेता है और तीसरी बार चुनाव जीतकर विधायक बने। पार्टी के प्रति समर्पित भाव, कर्तव्य निष्ठता, बेहद सौम्य स्वभाव तथा पूर्व व मौजूदा मुख्यमंत्री के साथ नजदीकियों के चलते उन्हें इस गरिमामई पद पर बैठने का मौका मिला है।
कोठी में रहने के बाद पंडित मोहनलाल ने जीते थे 6 चुनाव
अब बात करते हैं कोठी नंबर 42 की। पूर्व में जॉइंट पंजाब के दौरान जब प्रताप सिंह कैरो मुख्यमंत्री थे तो उनकी कैबिनेट में पंडित मोहनलाल शर्मा एक ताकतवर मंत्री थे, जिनके पास गृह- शहरी निकाय तथा कृषि विभाग की जिम्मेदारी थी और लंबे समय तक वह इन महत्वपूर्ण विभागों को संभालते रहे।
उन्हें भी यही कोठी 48 अलाट हुई थी। जिला गुरदासपुर की फतेहगढ़ चूरियन विधानसभा से पंडित मोहनलाल शर्मा ने कई चुनाव जीते हैं। यह कोठी अलाट होने के बाद भी वह 5 विधानसभा और 1 लोकसभा चुनाव जीत अपने रुतबे को बढ़ा कर गए हैं। यह बात हरियाणा गठन से पहले की है।
अब बात करते हैं 1 नवंबर 1966 के बाद की जब हरियाणा अस्तित्व में आया। उस समय जब प्रदेश में चौ0 देवीलाल की सरकार थी और उपमुख्यमंत्री डॉ मंगल सेन रहे। 1977 से 1979 तक प्रदेश के इस गौरवमई पद पर रहने वाले वह पहले व्यक्ति थे। उस समय की जनसंघ मौजूदा दौर की भाजपा है।
दिग्गज नेता डॉ मंगल सेन को ही प्रदेश भाजपा के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। भाजपा का मुख्य और मजबूत आधार रहे डॉक्टर मंगल सेन रोहतक विधानसभा से सात बार विधायक रहने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। हिंदुत्व, राष्ट्रवाद व भारतीय संस्कृति के सजग प्रहरी के रूप में डॉक्टर मंगल सेन पूरी तरह से ईमानदार ऐसे व्यक्ति रहे हैं जो ताउम्र किराए के मकान में रहे और उनकी अर्थी भी इसी किराए के मकान से उठी थी।
उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्हें भी कोठी नंबर 48 में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वह भी तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के बेहद नजदीकी रहे। डॉक्टर मंगल सेन ने उनके साथ मिल न्याय युद्ध भी लड़ा था। उनकी कूटनीति और राजनीतिक क्षमता के दम पर ही चौधरी देवीलाल ने प्रदेश में 90 में से 85 सीटें जीतकर एक बड़ा इतिहास रचा था। 1981 से 1991 तक वह प्रदेश में फिर से मंत्री रहे हैं।
यानि यह तो तय है कि चंडीगढ़ की कोठी नंबर 48 के बारे में फैलाई जा रही भ्रांतियां और प्रचार पूरी तरह से झूठे और बेबुनियाद है। इसके बारे बातें करने वाले लोगों ने किसी भी तरह से इसके अतीत को ज्यादा जानने की कोशिश नहीं की। चाहे कोई नेता हो या आम व्यक्ति उसकी कर्मशैली और सकारात्मक विचारधारा ही उसे आगे लेकर जाती है।
किसी भी प्रकार से कोठी या कोई अन्य स्थान उसके व्यक्तिगत या सामाजिक जीवन पर असर नहीं डालते। कोठी नंबर 48 के बारे में जिस प्रकार की बातें समाज में फैल रही थी उससे बेशक लोगों को यह कोठी रहस्यमई अवश्य लग रही होगी, लेकिन इन बातों का कोई भी आधार नजर नहीं आ रहा। कोठी नंबर 48 में रहे लोगों ने अतीत में बड़े-बड़े इतिहास रचे हैं, यह बात बिल्कुल पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है।
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